Add Poetry

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते

Poet: गुलज़ार By: Behzad, Islamabad

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते

जिस की आवाज़ में सिलवट हो निगाहों में शिकन
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते

लग के साहिल से जो बहता है उसे बहने दो
ऐसे दरिया का कभी रुख़ नहीं मोड़ा करते

जागने पर भी नहीं आँख से गिरतीं किर्चें
इस तरह ख़्वाबों से आँखें नहीं फोड़ा करते

शहद जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा
जाने वालों के लिए दिल नहीं थोड़ा करते

जा के कोहसार से सर मारो कि आवाज़ तो हो
ख़स्ता दीवारों से माथा नहीं फोड़ा करते

Rate it:
Views: 118
11 Sep, 2023
More Hindi Poetry
Popular Poetries
View More Poetries
Famous Poets
View More Poets