Republic Day shayari in Hindi भावनाओं के सार को खूबसूरती से दर्शाती है। मिर्ज़ा ग़ालिब, गुलज़ार और राहत इंदौरी जैसे प्रसिद्ध भारतीय कवियों ने शाश्वत छंद लिखे हैं जो प्रेम और लालसा की गहराई को व्यक्त करते हैं। उनकी गणतंत्र दिवस हिंदी शायरी दिल को छू जाती है, जिससे पाठक भावनाओं की तीव्रता से जुड़ जाते हैं। चाहे वह अनकही भावनाओं के बारे में हो या भावुक बयानों के बारे में, 2 line Republic Day shayari प्रेरणा और आराम का स्रोत बनी हुई है। ये शायरी गणतंत्र दिवस छंद न केवल प्रेम व्यक्त करते हैं बल्कि दो आत्माओं के बीच भावनात्मक बंधन का भी जश्न मनाते हैं।
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी
भारत के ऐ सपूतो हिम्मत दिखाए जाओ
दुनिया के दिल पे अपना सिक्का बिठाए जाओ
मुर्दा-दिली का झंडा फेंको ज़मीन पर तुम
ज़िंदा-दिली का हर-सू परचम उड़ाए जाओ
लाओ न भूल कर भी दिल में ख़याल-ए-पस्ती
ख़ुश-हाली-ए-वतन का बेड़ा उठाए जाओ
तन-मन मिटाए जाओ तुम नाम-ए-क़ौमीयत पर
राह-ए-वतन में अपनी जानें लड़ाए जाओ
कम-हिम्मती का दिल से नाम-ओ-निशाँ मिटा दो
जुरअत का लौह-ए-दिल पर नक़्शा जमाए जाओ
ऐ हिंदूओ मुसलमाँ आपस में इन दिनों तुम
नफ़रत घटाए जाओ उल्फ़त बढ़ाए जाओ
'बिक्रम' की राज-नीती 'अकबर' की पॉलीसी की
सारे जहाँ के दिल पर अज़्मत बिठाए जाओ
जिस कश्मकश ने तुम को है इस क़दर मिटाया
तुम से हो जिस क़दर तुम उस को मिटाए जाओ
जिन ख़ाना-जंगियों ने ये दिन तुम्हें दिखाए
अब उन की याद अपने दिल में भुलाए जाओ
बे-ख़ौफ़ गाए जाओ ''हिन्दोस्ताँ हमारा''
और ''वंदे-मातरम'' के नारे लगाए जाओ
जिन देश सेवकों से हासिल है फ़ैज़ तुम को
इन देश सेवकों की जय जय मनाए जाओ
जिस मुल्क का हो खाते दिन रात आब-ओ-दाना
उस मलक पर सरों की भेटें चढ़ाए जाओ
फाँसी का जेल का डर दिल से 'फ़लक' मिटा कर
ग़ैरों के मुँह पे सच्ची बातें सुनाते जाओ
पूछता है तो कि कब और किस तरह आती हूँ मैं
गोद में नाकामियों के परवरिश पाती हूँ मैं
सिर्फ़ वो मख़्सूस सीने हैं मिरी आराम-गाह
आरज़ू की तरह रह जाती है जिन में घुट के आह
अहल-ए-ग़म के साथ उन का दर्द-ओ-ग़म सहती हूँ मैं
काँपते होंटों पे बन कर बद-दुआ' रहती हूँ मैं
रक़्स करती हैं इशारों पर मिरे मौत-ओ-हयात
देखती रहती हूँ मैं हर-वक़्त नब्ज़-ए-काएनात
ख़ुद-फ़रेबी बढ़ के जब बनती है एहसास-ए-शुऊ'र
जब जवाँ होता है अहल-ए-ज़र के तेवर में ग़ुरूर
मुफ़्लिसी से करते हैं जब आदमियत को जुदा
जब लहू पीते हैं तहज़ीब-ओ-तमद्दुन के ख़ुदा
भूत बन कर नाचता है सर पे जब क़ौमी वक़ार
ले के मज़हब की सिपर आता है जब सरमाया-दार
रास्ते जब बंद होते हैं दुआओं के लिए
आदमी लड़ता है जब झूटे ख़ुदाओं के लिए
ज़िंदगी इंसाँ की कर देता है जब इंसाँ हराम
जब उसे क़ानून-ए-फ़ितरत का अता होता है नाम
अहरमन फिरता है जब अपना दहन खोले हुए
आसमाँ से मौत जब आती है पर तोले हुए
जब किसानों की निगाहों से टपकता है हिरास
फूटने लगती है जब मज़दूर के ज़ख़्मों से यास
सब्र-ए-अय्यूबी का जब लबरेज़ होता है सुबू
सोज़-ए-ग़म से खौलता है जब ग़ुलामों का लहु
ग़ासिबों से बढ़ के जब करता है हक़ अपना सवाल
जब नज़र आता है मज़लूमों के चेहरों पर जलाल
तफ़रक़ा पड़ता है जब दुनिया में नस्ल-ओ-रंग का
ले के मैं आती हूँ परचम इन्क़िलाब-ओ-जंग का
हाँ मगर जब टूट जाती है हवादिस की कमंद
जब कुचल देता है हर शय को बग़ावत का समंद
जब निगल लेता है तूफ़ाँ बढ़ के कश्ती नूह की
घुट के जब इंसान में रह जाती है अज़्मत रूह की
दूर हो जाती है जब मज़दूरों के दिल की जलन
जब तबस्सुम बन के होंटों पर सिमटती है थकन
जब उभरता है उफ़ुक़ से ज़िंदगी का आफ़्ताब
जब निखरता है लहू की आग में तप कर शबाब
नस्ल क़ौमिय्यत कलीसा सल्तनत तहज़ीब-ओ-रंग
रौंद चुकती है जब इन सब को जवानी की उमंग
सुब्ह के ज़र्रीं तबस्सुम में अयाँ होती हूँ मैं
रिफ़अत-ए-अर्श-ए-बरीं से पर-फ़िशाँ होती हूँ मैं
भारत में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है और यह हर भारतीय के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह वही दिन है जब 1950 में भारत का संविधान लागू हुआ था, जिसने भारत को एक स्वतंत्र-लोकतांत्रिक गणराज्य देश बनाया था। इस महान दिन को कई तरह से मनाया जाता है जैसे कि बड़ी परेड, राष्ट्रीय ध्वज फहराना और पूरे देश में राष्ट्रीय और अन्य देशभक्ति के गीत गाना। इन सबके बावजूद एक और शानदार तरीका है जिससे हर कोई अपने देश के प्रति अपनी देशभक्ति को दर्शाता है, खासकर गणतंत्र दिवस पर republic day shayari in Hindi के माध्यम से। इन खूबसूरत और संक्षिप्त छंदों में किसी की मातृभूमि के लिए प्यार, गर्व और देशभक्ति की भावनाएँ हैं।
शायरी कविता का एक रूप है जो भारत में कई अवसरों पर लंबे समय से प्रचलित है। कई शायरी प्रेमियों और शायरों ने वर्षों से हिंदी शायरी लिखी है, जो अपने देश के प्रति प्रेम और गर्व की भावना पैदा करती है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर, गणतंत्र दिवस शायरी उन चीजों में से एक है जो सभी आयु समूहों और जीवन के क्षेत्रों के लोगों को छूती है, उन्हें याद दिलाती है कि कैसे स्वतंत्रता एक कीमत पर आई थी और राष्ट्र की अखंडता को बनाए रखना कितना मूल्यवान है।
इस दिन को पूरे देश में स्कूलों, कॉलेजों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी मनाया जाता है और लोग desh bhakti republic day shayari पढ़ते हैं। ये पंक्तियाँ न केवल गणतंत्र दिवस की भावना का प्रतिनिधित्व करती हैं, बल्कि भारतीयों के दिलों में आकांक्षा और सम्मान भी जगाती हैं। ऐसी शायरियाँ आम तौर पर एकजुटता, संपूर्णता, विविधता और भविष्य में बेहतर देश के सपने का वर्णन करती हैं।
26 जनवरी गणतंत्र दिवस शायरी का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह सबसे अधिक दिल से जुड़ती है और भावनाओं को जन्म देती है। चाहे वह रामधारी सिंह दिनकर के शब्दों की दोहे हों या कुमार विश्वास की समकालीन रचनाएँ, शायरी लोगों को उनके समूहों के प्रति आकर्षित करती है और लोगों को देश की लोकतांत्रिक अवधारणाओं का पालन करने के लिए प्रेरित करती है।
Republic day shayari Hindi का समूह साझाकरण कई अन्य रूपों में भी लोगों द्वारा विभिन्न अवसरों पर सोशल नेटवर्किंग प्लेटफ़ॉर्म और मोबाइल फ़ोन टेक्स्ट संदेशों के माध्यम से किया जाता है, साथ ही साथ उनके स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और कार्यस्थलों के भीतर गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान भी किया जाता है। यह आदान-प्रदान लोगों को देशभक्ति की भावना से भी जोड़ता है, क्योंकि हर कोई देश के प्रति प्रेम रखता है।