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Sad Shayari in Hindi - श्रेष्ठ सैड हिंदी शायरी में

Sad shayari in Hindi भावनाओं के सार को खूबसूरती से दर्शाती है। मिर्ज़ा ग़ालिब, गुलज़ार और राहत इंदौरी जैसे प्रसिद्ध भारतीय कवियों ने शाश्वत छंद लिखे हैं जो प्रेम और लालसा की गहराई को व्यक्त करते हैं। उनकी सैड हिंदी शायरी दिल को छू जाती है, जिससे पाठक भावनाओं की तीव्रता से जुड़ जाते हैं। चाहे वह अनकही भावनाओं के बारे में हो या भावुक बयानों के बारे में, 2 line Sad shayari प्रेरणा और आराम का स्रोत बनी हुई है। ये शायरी सैड छंद न केवल प्रेम व्यक्त करते हैं बल्कि दो आत्माओं के बीच भावनात्मक बंधन का भी जश्न मनाते हैं।

नवीनतम सैड शायरी हिंदी
दिल था अब यार आ गया क्या पार
(कवि : Younis Francis)

दिल था अब यार आ गया क्या पार
जुर्म इज़ मीना बाता मेरा क्या है

किसि पार मरनै कै इरदाह है अब
बाता है भूल के साजा क्या है

ज़िन्दगी दरद के सिवा क्या है
(कवि : Younis Francis)
ज़िन्दगी दरद के सिवा क्या है

ज़िन्दगी दरद के सिवा क्या है
उसने हमें अब तक क्या दिया है?

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
(कवि : कैफ़ी आज़मी)

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो

आँखों में नमी हँसी लबों पर
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो

बन जाएँगे ज़हर पीते पीते
ये अश्क जो पीते जा रहे हो

जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है
तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो

रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो

रोग ऐसे भी ग़म-ए-यार से लग जाते हैं
(कवि : अहमद फ़राज़)

रोग ऐसे भी ग़म-ए-यार से लग जाते
दर से उठते हैं तो दीवार से लग जाते हैं

इश्क़ आग़ाज़ में हल्की सी ख़लिश रखता है
बाद में सैकड़ों आज़ार से लग जाते हैं

पहले पहले हवस इक-आध दुकाँ खोलती है
फिर तो बाज़ार के बाज़ार से लग जाते हैं

बेबसी भी कभी क़ुर्बत का सबब बनती है
रो न पाएँ तो गले यार से लग जाते हैं

कतरनें ग़म की जो गलियों में उड़ी फिरती हैं
घर में ले आओ तो अम्बार से लग जाते हैं

दाग़ दामन के हों दिल के हों कि चेहरे के 'फ़राज़'
कुछ निशाँ उम्र की रफ़्तार से लग जाते हैं

कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो
(कवि : अहमद फ़राज़)

कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो
बहुत कड़ा है सफ़र थोड़ी दूर साथ चलो

तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है
ये जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो

नशे में चूर हूँ मैं भी तुम्हें भी होश नहीं
बड़ा मज़ा हो अगर थोड़ी दूर साथ चलो

ये एक शब की मुलाक़ात भी ग़नीमत है
किसे है कल की ख़बर थोड़ी दूर साथ चलो

अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो

तवाफ़-ए-मंज़िल-ए-जानाँ हमें भी करना है
'फ़राज़' तुम भी अगर थोड़ी दूर साथ चलो

शबनम है कि धोका है कि झरना है कि तुम हो
(कवि : अहमद सलमान)

शबनम है कि धोका है कि झरना है कि तुम हो
दिल-दश्त में इक प्यास तमाशा है कि तुम हो

इक लफ़्ज़ में भटका हुआ शाइ'र है कि मैं हू
इक ग़ैब से आया हुआ मिस्रा है कि तुम हो

दरवाज़ा भी जैसे मिरी धड़कन से जुड़ा है
दस्तक ही बताती है पराया है कि तुम हो

इक धूप से उलझा हुआ साया है कि मैं हूँ
इक शाम के होने का भरोसा है कि तुम हो

मैं हूँ भी तो लगता है कि जैसे मैं नहीं हूँ
तुम हो भी नहीं और ये लगता है कि तुम हो

अपने होंटों पर सजाना चाहता हूँ
(कवि : क़तील शिफ़ाई)

अपने होंटों पर सजाना चाहता हूँ
आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ

कोई आँसू तेरे दामन पर गिरा कर
बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ

थक गया मैं करते करते याद तुझ को
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ

छा रहा है सारी बस्ती में अँधेरा
रौशनी को, घर जलाना चाहता हूँ

आख़री हिचकी तिरे ज़ानू पे आए
मौत भी मैं शाइ'राना चाहता हूँ

तुम्हें जब कभी मिलें फ़ुर्सतें मिरे दिल से बोझ उतार दो
(कवि : ऐतबार साजिद)

तुम्हें जब कभी मिलें फ़ुर्सतें मिरे दिल से बोझ उतार दो
मैं बहुत दिनों से उदास हूँ मुझे कोई शाम उधार दो

मुझे अपने रूप की धूप दो कि चमक सकें मिरे ख़ाल-ओ-ख़द
मुझे अपने रंग में रंग दो मिरे सारे रंग उतार दो

किसी और को मिरे हाल से न ग़रज़ है कोई न वास्ता
मैं बिखर गया हूँ समेट लो मैं बिगड़ गया हूँ सँवार दो

गुज़रे जो अपने यारों की सोहबत में चार दिन
(कवि : ए जी जोश)

गुज़रे जो अपने यारों की सोहबत में चार दिन
ऐसा लगा बसर हुए जन्नत में चार दिन

उम्र-ए-ख़िज़र की उस को तमन्ना कभी न हो
इंसान जी सके जो मोहब्बत में चार दिन

जब तक जिए निभाएँगे हम उन से दोस्ती
अपने रहे जो दोस्त मुसीबत में चार दिन

ऐ जान-ए-आरज़ू वो क़यामत से कम न थे
काटे तिरे बग़ैर जो ग़ुर्बत में चार दिन

फिर उम्र भर कभी न सुकूँ पा सका ये दिल
कटने थे जो भी कट गए राहत में चार दिन

जो फ़क़्र में सुरूर है शाही में वो कहाँ
हम भी रहे हैं नश्शा-ए-दौलत में चार दिन

उस आग ने जला के ये दिल राख कर दिया
उठते थे 'जोश' शोले जो वहशत में चार दिन

ज़ख़्म खाते हैं और मुस्कुराते हैं हम
(कवि : ए जी जोश)

ज़ख़्म खाते हैं और मुस्कुराते हैं हम
हौसला अपना ख़ुद आज़माते हैं हम

आ लगा है किनारे सफ़ीना मगर
शोर तो आदतन ही मचाते हैं हम

हम जो डूबें तो कोई न फिर बच सके
ऐसा सागर में तूफ़ाँ उठाते हैं हम

चूर कर भी चुके दिल के शीशे को वो
अपनी हिम्मत है फिर चोट खाते हैं हम

बे-रुख़ी से जो दिल तोड़ देते हैं 'जोश'
उन के ही प्यार के गीत गाते हैं हम

चाँदनी-रात में अंधेरा था
(कवि : ए जी जोश)

चाँदनी-रात में अंधेरा था
इस तरह बेबसी ने घेरा था

मेरे घर में बसी थी तारीकी
घर से बाहर मगर सवेरा था

वो किसी और का हुआ है आज
वो जो कल तक तो सिर्फ़ मेरा था

उड़ गए आस के सभी पंछी
जिन का दिल में मिरे बसेरा था

बस वहीं 'जोश' का मज़ार है आज
कल जहाँ बेवफ़ा का डेरा था

हम ही ज़र्रे रुस्वाई से
(कवि : ए जी जोश)

हम ही ज़र्रे रुस्वाई से
क्या शिकवा हरजाई से

इश्क़ में आख़िर ख़ार हुए
लाख चले दानाई से

गिरवीदा करते हैं फूल
रंगों और रानाई से

मिलते हैं अनमोल रतन
सागर की गहराई से

झूट के ख़ोल में बैठा हूँ
डरता हूँ सच्चाई से

'जोश' ने सीखी है पर्वाज़
सिर्फ़ तिरी अंगड़ाई से

सर-ए-राहे कभी-कभार सही
(कवि : ए जी जोश)

सर-ए-राहे कभी-कभार सही
रस-भरी इक निगाह-ए-यार सही

हम तो ज़िंदा हैं तेरे वा'दों पर
तू नहीं तेरा इंतिज़ार सही

हम लगा देंगे इश्क़ की बाज़ी
न मिले जीत अपनी हार सही

हम को है एक सोहनी की तलाश
पस-ए-तूफ़ाँ चनाब पार सही

अपना मंसब निभा कि तू है ख़ुदा
हम हैं बंदे गुनाहगार सही

मुमकिन है शब-ए-हिज्र दुआ का न असर हो
(कवि : ए जी जोश)

मुमकिन है शब-ए-हिज्र दुआ का न असर हो
है रात वो क्या रात कि जिस की न सहर हो

ठुकरा के चले जाना है बर-हक़ तुम्हें लेकिन
बस रखना ख़याल इतना जहाँ को न ख़बर हो

वो शब जो सितारों से भरी हो तो हमें क्या
पहलू में अगर तेरे मिरी शब न बसर हो

गरजा है बड़े ज़ोर से बादल ज़रा देखो
बिजली से गिरी जिस पे कहीं मेरा न घर हो

जीवन है सफ़र 'जोश' ये तस्लीम है लेकिन
महबूब का हो साथ तो क्या ख़ूब सफ़र हो

कोई शिकवा तो ज़ेर-ए-लब होगा
(कवि : ए जी जोश)

कोई शिकवा तो ज़ेर-ए-लब होगा
कुछ ख़मोशी का भी सबब होगा

मैं भी हूँ बज़्म में रक़ीब भी है
आख़िरी फ़ैसला तो अब होगा

आएँ मय-ख़ाने में कभी वाइ'ज़
हूर भी होगी और सब होगा

बोल ऐ मेरे दिल की तारीकी
तेरा सूरज तुलूअ' कब होगा

सुनता होगा सदाएँ उस दिल की
शाम-ए-तन्हाई में वो जब होगा

कब छटेंगी ये बदलियाँ ग़म की
साफ़ मतला ये 'जोश' कब होगा

मौत भी मेरी दस्तरस में नहीं
(कवि : ए जी जोश)

मौत भी मेरी दस्तरस में नहीं
और जीना भी अपने बस में नहीं

आग भड़के तो किस तरह भड़के
इक शरर भी तो ख़ार-ओ-ख़स में नहीं

क़त्ल-ओ-ग़ारत खुली फ़ज़ा का नसीब
ऐसा ख़तरा कोई क़फ़स में नहीं

क्या सुने कोई दास्तान-ए-वफ़ा
फ़र्क़ अब इश्क़ और हवस में नहीं

ज़ुल्म के सामने हो सीना-सिपर
हौसला इतना हम-नफ़स में नहीं

'जोश' वो जो कहें करो तस्लीम
फ़ाएदा कुछ भी पेश-ओ-पस में नहीं

हिंदी शायरी श्रेणियाँ

सैड शायरी हिंदी - Sad Shayari Hindi

दर्द, अकेलापन और दिल टूटना, क्या इन्हें व्यक्त करने के लिए शब्दों की भी ज़रूरत होती है? sad shayari in hindi दुनियावी शब्दावली के विफल हो जाने पर आत्मा के अत्यधिक दुख को व्यक्त करने के लिए सबसे उपयुक्त रूप है। सदियों से, कवियों ने खोए हुए प्यार, विश्वासघात के बोझ और लालसा को भरने वाले खालीपन को व्यक्त करने के लिए शायरी का इस्तेमाल किया है।

श्रेष्ठ सैड हिंदी शायरी में लगभग उपचार के लिए कला में जगह पा लेता है। सिर्फ़ शब्दों का चयन, छंदों की लय और भावनाएँ कवि के दुखों की पूरी गहराई को समेटे हुए हैं, जो अधूरे, अनकहे और पंक्तियों के साथ-साथ किसी भी व्यक्ति के साथ प्रतिध्वनित होते हैं जिसने टूटे हुए दिल के दुख को चखा है।

दुख की सामान्य अभिव्यक्ति के विपरीत, श्रेष्ठ सैड हिंदी शायरी में सुंदरता की तुलना उदासी से करती है। यह सिर्फ़ दर्द को व्यक्त नहीं करती बल्कि इसे एक सार्थक अनुभव में बदल देती है। ये कविताएं अधूरे प्रेम के दुख या एकांत की शांत निराशा को व्यक्त करती हैं।

उदास लोगों के लिए, sad shayari in hindi सिर्फ़ राहत से ज़्यादा है; यह एक अच्छा दोस्त है-यह भी याद दिलाता है कि दिल टूटना कोई अनोखी बात नहीं है और कविता के ज़रिए दर्द साझा करना एक अजीब तरह का सुकून देता है। कभी-कभी, ठीक होने का एकमात्र तरीका दिल को कविता में बोलने देना होता है जो उसकी खामोश चीखों को दर्शाता है।

श्रेष्ठ सैड हिंदी शायरी में सिर्फ़ कविता से ज़्यादा है; यह एक ऐसा दोस्त है जो आपके दुख को तब समझता है जब कोई और नहीं जानता। ये वाक्यांश आपको याद दिलाते हैं कि आप अकेले नहीं हैं, चाहे आपका दिल टूटा हो, आप अकेले हों, या आप बस उदास हों। हालाँकि जीवन चुनौतीपूर्ण हो सकता है, कभी-कभी शायरी की कुछ पंक्तियाँ पढ़ना या लिखना भारी भावनाओं को हल्का करने में मदद करता है। अगली बार जब दुख आए तो इन पंक्तियों को अपने दिल की बात कहने दें। शायरी आपको दुख में भी सुंदरता देखने में मदद करती है।