Shayari in Hindi - हिंदी शायरी का सर्वश्रेष्ठ संग्रह
Shayari in Hindi अभिव्यक्ति का एक सुंदर रूप है जो शब्दों के माध्यम से गहरी भावनाओं को व्यक्त करता है। हिंदी शायरी प्यार, दोस्ती और उदासी जैसे विषयों को शामिल करती है। मिर्ज़ा ग़ालिब, गुलज़ार और कुमार विश्वास जैसे कवियों ने Hindi shayari के सांस्कृतिक सार को आकार देते हुए इस कला में बहुत योगदान दिया है। उनकी कविताएँ भावनाएँ जगाती हैं और लोगों को साझा भावनाओं से जोड़ती हैं। चाहे बात प्यार की हो या जिंदगी की, shayari in Hindi पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रेरणा देती रहती है और दिलों को छूती रहती है।
दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या
मेरी हर बात बे-असर ही रही
नुक़्स है कुछ मिरे बयान में क्या
मुझ को तो कोई टोकता भी नहीं
यही होता है ख़ानदान में क्या
अपनी महरूमियाँ छुपाते हैं
हम ग़रीबों की आन-बान में क्या
ख़ुद को जाना जुदा ज़माने से
आ गया था मिरे गुमान में क्या
शाम ही से दुकान-ए-दीद है बंद
नहीं नुक़सान तक दुकान में क्या
ऐ मिरे सुब्ह-ओ-शाम-ए-दिल की शफ़क़
तू नहाती है अब भी बान में क्या
बोलते क्यूँ नहीं मिरे हक़ में
आबले पड़ गए ज़बान में क्या
ख़ामुशी कह रही है कान में क्या
आ रहा है मिरे गुमान में क्या
दिल कि आते हैं जिस को ध्यान बहुत
ख़ुद भी आता है अपने ध्यान में क्या
वो मिले तो ये पूछना है मुझे
अब भी हूँ मैं तिरी अमान में क्या
यूँ जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या
है नसीम-ए-बहार गर्द-आलूद
ख़ाक उड़ती है उस मकान में क्या
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या
और जो लाता है पढ़ा जाता नहीं
आशिक़ी से क्यूँ हम इस्तीफ़ा न दें
होटलों का बिल दिया जाता नहीं
शैख़-जी मोटर पे हज को जाइए
अहद-ए-नौ में ऊँट काम आता नहीं
बोसा लें उस सर्व-क़द का किस तरह
तार पर हम से चढ़ा जाता नहीं
आशिक़ों पर ज़ुल्म करना छोड़ दें
क्यूँ-बे क़ासिद जा के समझाता नहीं
रात दिन फ़रमाइशें ज़ेवर की हैं
हम से अब आशिक़ रहा जाता नहीं
जल गई सिगरेट से दाढ़ी शैख़ की
ये मगर फैशन से बाज़ आता नहीं
फ़रबही का तंज़ क्यूँ मुश्ताक़ पर
तेरी चक्की से तो पिसवाता नहीं
फ़ीस पहले जब तलक रखवा न ले
डॉक्टर अपने भी घर जाता नहीं
बैकरी में नौकरी करनी पड़ी
वो सिवाए केक कुछ खाता नहीं
तेरी फ़ुर्क़त में बहुत फ़ाक़े कटे
आ कि अब भूका रहा जाता नहीं
कब से है मेहमान तू ऐ हिज्र-ए-यार
भाई मेरे घर से क्यूँ जाता नहीं
ओ सितम-गर रोकना मोटर ज़रा
मेरे ख़च्चर से चला जाता नहीं
लॉन्ड्री खोली थी उस के इश्क़ में
पर वो कपड़े हम से धुलवाता नहीं
हज़रत-ए-इब्न-ए-बतूता की ग़ज़ल
ज़िद के मारे वो सनम गाता नहीं
ये बात सच है मिरा बाप कम नहीं माँ से
वो माँ के कहने पे कुछ रो'ब मुझ पे रखता है
यही है वज्ह मुझे चूमते झिझकता है
वो आश्ना मिरे हर कर्ब से रहे हर दम
जो खुल के रो नहीं पाता मगर सिसकता है
जुड़ी है उस की हर इक हाँ फ़क़त मिरी हाँ से
ये बात सच है मिरा बाप कम नहीं माँ से
हर एक दर्द वो चुप-चाप ख़ुद पे सहता है
तमाम उम्र वो अपनों से कट के रहता है
वो लौटता है कहीं रात देर को दिन भर
वजूद उस का पसीने में ढल के बहता है
गिले हैं फिर भी मुझे ऐसे चाक-दामाँ से
ये बात सच है मिरा बाप कम नहीं माँ से
पुराना सूट पहनता है कम वो खाता है
मगर खिलौने मिरे सब ख़रीद लाता है
वो मुझ को सोए हुए देखता है जी भर के
न जाने सोच के क्या क्या वो मुस्कुराता है
मिरे बग़ैर हैं सब ख़्वाब उस के वीराँ से
ये बात सच है मिरा बाप कम नहीं माँ से
और जीना भी अपने बस में नहीं
आग भड़के तो किस तरह भड़के
इक शरर भी तो ख़ार-ओ-ख़स में नहीं
क़त्ल-ओ-ग़ारत खुली फ़ज़ा का नसीब
ऐसा ख़तरा कोई क़फ़स में नहीं
क्या सुने कोई दास्तान-ए-वफ़ा
फ़र्क़ अब इश्क़ और हवस में नहीं
ज़ुल्म के सामने हो सीना-सिपर
हौसला इतना हम-नफ़स में नहीं
'जोश' वो जो कहें करो तस्लीम
फ़ाएदा कुछ भी पेश-ओ-पस में नहीं
कुछ ख़मोशी का भी सबब होगा
मैं भी हूँ बज़्म में रक़ीब भी है
आख़िरी फ़ैसला तो अब होगा
आएँ मय-ख़ाने में कभी वाइ'ज़
हूर भी होगी और सब होगा
बोल ऐ मेरे दिल की तारीकी
तेरा सूरज तुलूअ' कब होगा
सुनता होगा सदाएँ उस दिल की
शाम-ए-तन्हाई में वो जब होगा
कब छटेंगी ये बदलियाँ ग़म की
साफ़ मतला ये 'जोश' कब होगा
है रात वो क्या रात कि जिस की न सहर हो
ठुकरा के चले जाना है बर-हक़ तुम्हें लेकिन
बस रखना ख़याल इतना जहाँ को न ख़बर हो
वो शब जो सितारों से भरी हो तो हमें क्या
पहलू में अगर तेरे मिरी शब न बसर हो
गरजा है बड़े ज़ोर से बादल ज़रा देखो
बिजली से गिरी जिस पे कहीं मेरा न घर हो
जीवन है सफ़र 'जोश' ये तस्लीम है लेकिन
महबूब का हो साथ तो क्या ख़ूब सफ़र हो
शहर-भर में मेरी रुस्वाई हुई
हुस्न को कोई भी दे पाया न मात
जब हुई आशिक़ की पस्पाई हुई
देखने को कुछ नहीं था गर यहाँ
चश्म-ए-बीना क्यूँ तमाशाई हुई
उस ने पूछा मेरे आने का सबब
मैं ने ये जाना पज़ीराई हुई
इल्तिजा दोहरा रहा हूँ फिर वो 'जोश'
जो है लाखों बार दोहराई हुई
Hindi Shayari
Shayari in Hindi भावनाओं से भरे शब्दों के साथ खुद को अभिव्यक्त करने की एक बेहतरीन कला है। यह वर्षों से भारतीय परंपरा में एक महत्वपूर्ण कला रूप रहा है और अभी भी इसका उपयोग प्रेम, दर्द, खुशी और यहां तक कि दर्शन को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। हिंदी शायरी कविता प्रेमियों के दिलों में अपना एक अलग स्थान रखती है क्योंकि यह जीवन को आसानी से सुनने योग्य तरीके से सीधे बयान करती प्रतीत होती है।
इन वर्षों में, हिंदी शायरी मिर्ज़ा ग़ालिब, राहत इंदौरी, गुलज़ार, मुनव्वर राणा और जावेद अख्तर जैसे कवियों द्वारा लगातार बदलती दुनिया को ध्यान में रखते हुए लिखी गई उत्कृष्ट कृति से उभरी है। इन प्रसिद्ध कवियों ने सुंदर शायरी इन हिंदी तैयार करने के लिए सराहनीय प्रयास किए थे जो पीढ़ी दर पीढ़ी पाठकों को लुभाते रहे।
Hindi Shayari भाषा केवल एक विषय तक सीमित नहीं है; यह रूमानी भावना, उदासी की भावना, देशभक्ति और यहां तक कि धार्मिक भावनाओं से लेकर है। शायरी इन हिंदी का सार इस तथ्य में है कि यह मनुष्य के दिलों को पिघला सकता है, उन्हें सोचने पर मजबूर कर सकता है और उनके भीतर की भावना से जुड़ सकता है। प्यार या जुनून, एक खोया हुआ सपना या सफलता, चाहे वह एक दोहा हो जो बदले में न मिलने वाले प्यार का वर्णन करता हो या जीवन की जीत की प्रशंसा में एक कविता हो, शायरी में हर किसी के लिए कुछ न कुछ है।
पिछले कुछ वर्षों में, इंटरनेट के आगमन ने कविता से प्यार करने वाले लोगों को आशीर्वाद दिया है। पाठक कई लेखकों का काम पा सकते हैं, चाहे वे पुराने समय के हों या आज के। इसके बावजूद, शायरी भारत और दक्षिण एशिया में कविता के सबसे लोकप्रिय रूपों में से एक बनी हुई है, जो मानवीय भावनाओं के संवर्धन का प्रतीक है, साथ ही सभी उम्र के दर्शकों का मनोरंजन करती है, जिसमें युवा भी शामिल हैं जो गहराई और संगीत से प्रेरित दृष्टिकोण से मोहित हो जाते हैं। कविता।
भले ही उन्हें जिस भी संदर्भ में पढ़ा या साझा किया जाता हो, Shayari in Hindi भारत में लोगों के बीच लोकप्रिय और पसंद की जाती है क्योंकि यह देश की परंपरा और लेखन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है।