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अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे

(कवि : SHAKEEL BADAYUNI)
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे

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