बात करनी है बात कौन करे
(कवि : कुमार विश्वास)
बात करनी है बात कौन करे
दर्द से दो दो हाथ कौन करे
हम सितारे तुम्हें बुलाते हैं
चाँद न हो तो रात कौन करे
अब तुझे रब कहें या बुत समझें
इश्क़ में ज़ात-पात कौन करे
ज़िंदगी भर की थे कमाई तुम
इस से ज़्यादा ज़कात कौन करे