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बे-ख़ुदी में ले लिया बोसा ख़ता कीजे मुआफ़

(कवि : )
बे-ख़ुदी में ले लिया बोसा ख़ता कीजे मुआफ़
ये दिल-ए-बेताब की सारी ख़ता थी मैं न था

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