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गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझ को भी जमाने दो

(कवि : BHARTENDU HARISHCHANDRA)
गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझ को भी जमाने दो
मनाने दो मुझे भी जान-ए-मन त्यौहार होली में

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