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हंस के डार्ड जिगर ... साहा होटा

(कवि : )
हंस के डार्ड जिगर ... साहा होटा
कुछ से चैत का हक एडीए होटा

दिल से है निकल हाय देते
दिल नहीं है को अगर दीया होता

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