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कहीं हंसी, कहीं रोना

(कवि : Nazir Qaiser)
कहीं हंसी, कहीं रोना
पहली बारिश हुई

एक शास्त्र में सुबह का उल्लेख है
एक जंगल में सुबह

बीज पानी में बनता है
जीवन हाथ-पैर धोता था

गुंबदों से उड़ते पक्षी
मस्जिदों में अदन पढ़ी जा रही थी

रात नंगे पांव गुजर रही है
तारों को पानी में बोया जाता है

सूर्य चमक रहा था
एक अंकुर फूटता है

एक तरफ दिन का प्रकाश
रात को एक तरफ सोना

उसके बालों से ओस गिरती है
एक परी पर चल रहा है

सीजर की एक आवाज आ रही है
जंगलों और घाटियों के माध्यम से

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