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लौट कर

(कवि : अनुवाद: बलराज कोमल)
तू बहुत रोई चिल्लाई
वो लौट कर नहीं आया

फिर एक दिन
तेरे चेहरे पर
मुस्कुराहट लौट आई

ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी
मौत से तुम कभी नहीं हारती

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