कोई दुःख नहीं है

(कवि : Khalid Rashid Asi)
कोई दुःख नहीं है
प्रेम ताजा है

प्रेम वह मोमबत्ती है जो
कोई राख नहीं है

जुल्म करने वाले के सामने भी प्यार
यह झुकता या झुकता नहीं है

जहाँ कम और कम वहाँ प्रेम होता है
वहां आंख भरी है

लव यू माई सिन
पूजा स्वयं एकीकृत है

हिंदी शायरी श्रेणियाँ
नवीनतम का प्रस्ताव हिंदी शायरी
अक्स है आइना-ए-दहर में सूरत मेरी अक्स है आइना-ए-दहर में सूरत मेरी
कुछ हक़ीक़त नहीं इतनी है हक़ीक़त मेरी
देखता मैं उसे क्यूँकर कि नक़ाब उठते ही
बन के दीवार खड़ी हो गई हैरत मेरी
रोज़ वो ख़्वाब में आते हैं गले मिलने को
मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है क़िस्मत मेरी
सच है एहसान का भी बोझ बहुत होता है
चार फूलों से दबी जाती है तुर्बत मेरी
आइने से उन्हें कुछ उन्स नहीं बात ये है
चाहते हैं कोई देखा करे सूरत मेरी
मैं ये समझूँ कोई माशूक़ मिरे हाथ आया
मेरे क़ाबू में जो आ जाए तबीअ'त मेरी
बू-ए-गेसू ने शगूफ़ा ये नया छोड़ा है
निकहत-ए-गुल से उलझती है तबीअ'त मेरी
उन से इज़हार-ए-मोहब्बत जो कोई करता है
दूर से उस को दिखा देते हैं तुर्बत मेरी
जाते जाते वो यही कर गए ताकीद 'जलील'
दिल में रखिएगा हिफ़ाज़त से मोहब्बत मेरी