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तुम्हारे हिजर ने वो काम किया

तुम्हारे हिजर ने वो काम किया
ज़खम दिल ही हमारे नाम किया

सारे दुश्मन पहाड़ सूरत हैं
इश्क़ वादी में जब क़ियाम किया

आशिकी का भला हो दुनिया में
क्या नया जीना हराम किया

उन्हीं नज़रों के तेरे खा खा कर
मौत का हम ने एहतिमाम किया

जब लशे हैं चलते फिरते से
जीस्ट का हम ने एकतातां किया

(कवि : Anwar Zeb Anwar)
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