Add Poetry

ज़िन्दगी से याही गिला है मुजे

ज़िन्दगी से याही गिला है मुजे
तू बोहत डर से मिला है मुजे

तू मोहब्बत से कोई चाय चले
हर जेन का होसला है मुजे

दिल धडकटता नहीं टपकता है
कल जो ख्वाहिश थी आबला है मुझसे

हमसफ़र चहिये हजूम नहीं
इक मुसाफिर भी काफला है मुजे

कोह किन हो क्या हो फ़राज़
सब मीन इक शक्स ही मिला है मुजे

(कवि : Ahmad Faraz)
हिंदी शायरी श्रेणियाँ