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ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ

(कवि : SAHIR LUDHIANVI)
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया

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