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ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले

(कवि : अल्लामा इक़बाल)
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है

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