Add Poetry

जब कभी ज़िक्र यार का आया

(कवि : ए जी जोश)
जब कभी ज़िक्र यार का आया
एक झोंका बहार का आया

इश्क़ कच्चे घड़े पे डूब गया
लम्हा जब इंतिज़ार का आया

आ गए दिल में वसवसे कितने
वक़्त जब ए'तिबार का आया

पास तीर-ओ-कमाँ न थे अपने
जब भी मौसम शिकार का आया

हम ने ठुकरा दिया जहाँ को 'जोश'
मरहला जब वक़ार का आया

हिंदी शायरी श्रेणियाँ
नवीनतम लव हिंदी शायरी