सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
Poet: अल्लामा इक़बाल By: Ibrahim, Lahoreसितारों से आगे जहाँ और भी हैं 
 अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं 
 
 तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़ज़ाएँ 
 यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं 
 
 क़नाअत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर 
 चमन और भी आशियाँ और भी हैं 
 
 अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़म 
 मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ और भी हैं 
 
 तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा 
 तिरे सामने आसमाँ और भी हैं 
 
 इसी रोज़ ओ शब में उलझ कर न रह जा 
 कि तेरे ज़मान ओ मकाँ और भी हैं 
 
 गए दिन कि तन्हा था मैं अंजुमन में 
 यहाँ अब मिरे राज़-दाँ और भी हैं
More Hindi Poetry
लम्हे लम्हे की ना-रसाई है लम्हे लम्हे की ना-रसाई है 
ज़िंदगी हालत-ए-जुदाई है
मर्द-ए-मैदाँ हूँ अपनी ज़ात का मैं
मैं ने सब से शिकस्त खाई है
इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है
अब ये सूरत है जान-ए-जाँ कि तुझे
भूलने में मिरी भलाई है
ख़ुद को भूला हूँ उस को भूला हूँ
उम्र भर की यही कमाई है
मैं हुनर-मंद-ए-रंग हूँ मैं ने
ख़ून थूका है दाद पाई है
जाने ये तेरे वस्ल के हंगाम
तेरी फ़ुर्क़त कहाँ से आई है
ज़िंदगी हालत-ए-जुदाई है
मर्द-ए-मैदाँ हूँ अपनी ज़ात का मैं
मैं ने सब से शिकस्त खाई है
इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है
अब ये सूरत है जान-ए-जाँ कि तुझे
भूलने में मिरी भलाई है
ख़ुद को भूला हूँ उस को भूला हूँ
उम्र भर की यही कमाई है
मैं हुनर-मंद-ए-रंग हूँ मैं ने
ख़ून थूका है दाद पाई है
जाने ये तेरे वस्ल के हंगाम
तेरी फ़ुर्क़त कहाँ से आई है
Taimoor







 
  
  
  
  
  
  
  
  
  
  
 