Add Poetry

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई

Poet: गुलज़ार By: Amir, Karachi

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसाँ उतारता है कोई

दिल में कुछ यूँ सँभालता हूँ ग़म
जैसे ज़ेवर सँभालता है कोई

आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई

पेड़ पर पक गया है फल शायद
फिर से पत्थर उछालता है कोई

देर से गूँजते हैं सन्नाटे
जैसे हम को पुकारता है कोई

Rate it:
Views: 187
11 Sep, 2023
More Hindi Poetry
Popular Poetries
View More Poetries
Famous Poets
View More Poets