Add Poetry

ये तो इक रस्म-ए-जहाँ है जो अदा होती है

Poet: बेहज़ाद By: Behzad, Burewala

ये तो इक रस्म-ए-जहाँ है जो अदा होती है

वर्ना सूरज की कहाँ सालगिरह होती है

Rate it:
Views: 287
13 Sep, 2023
More Hindi Poetry
Popular Poetries
View More Poetries
Famous Poets
View More Poets