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ये तो इक रस्म-ए-जहाँ है जो अदा होती है

Poet: बेहज़ाद By: Behzad, Burewala

ये तो इक रस्म-ए-जहाँ है जो अदा होती है

वर्ना सूरज की कहाँ सालगिरह होती है

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13 Sep, 2023
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