Add Poetry

लम्हे लम्हे की ना-रसाई है

Poet: तिमुर By: Taimoor, Karachi

लम्हे लम्हे की ना-रसाई है
ज़िंदगी हालत-ए-जुदाई है

मर्द-ए-मैदाँ हूँ अपनी ज़ात का मैं
मैं ने सब से शिकस्त खाई है

इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है

अब ये सूरत है जान-ए-जाँ कि तुझे
भूलने में मिरी भलाई है

ख़ुद को भूला हूँ उस को भूला हूँ
उम्र भर की यही कमाई है

मैं हुनर-मंद-ए-रंग हूँ मैं ने
ख़ून थूका है दाद पाई है

जाने ये तेरे वस्ल के हंगाम
तेरी फ़ुर्क़त कहाँ से आई है

Rate it:
Views: 248
12 Sep, 2023
More Hindi Poetry
Popular Poetries
View More Poetries
Famous Poets
View More Poets